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मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का खतरा बढ़ रहा है: जानें कैसे तैयारी करें?

by Jan Soochana
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मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग का मुद्दा लगातार गंभीर होता जा रहा है, और ये कॉलेज अब ‘रैगिंग के हॉट स्पॉट’ बन चुके हैं। भारत में 2022-24 के दौरान मेडिकल स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटी में रैगिंग के 51 मामले सामने आए हैं। यह समस्या पढ़ाई के क्षेत्र में एक बड़ी चुनौतियों में से एक बन गई है।

मेडिकल कॉलेज में रैगिंग: आंकड़ों की डरावनी तस्वीर रैगिंग से मौत की घटनाएं

  • 2024 के मामले: साल 2024 में रैगिंग के कारण मेडिकल कॉलेज में मौत के 20 केस सामने आए हैं।
  • रैगिंग के आंकड़े: पिछले दशक में भारत के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 38.6 प्रतिशत रैगिंग की घटनाएं हुई हैं।

राज्यवार रैगिंग का फैलाव

  • उत्तर प्रदेश: यूपी में 7 मेडिकल कॉलेज रैगिंग के हॉट स्पॉट बने हुए हैं।
  • तमिलनाडु: यहाँ 10 कॉलेजों में रैगिंग के मामलों की पुष्टि हुई है।

सरकारी डेटा और समीक्षा

  • मेडिकल स्टूडेंट्स की संख्या: भारत में कुल 4,21,57,115 मेडिकल स्टूडेंट्स अब तक हैं।
  • रैगिंग से संबंधित: 4,50,119 मेडिकल स्टूडेंट्स ने रैगिंग से जुड़ी शिकायतें दर्ज कराई हैं।

ताज़ा समाचार: देश में रैगिंग का प्रभाव

  1. रैगिंग के बढ़ते मामलों पर चर्चा, Times of India
  2. सरकारी कदम: रैगिंग के खिलाफ सख्त कानून की आवश्यकता, Hindustan Times
  3. जन चेतना की कमी, Times
  4. रैगिंग रोकथाम में स्थानीय कार्य, Live Hindustan

यह सारी जानकारी जन सूचना के आधार पर प्रदान की गई है। सही जानकारी और विवरण के लिए सरकारी वेबसाइट पर जाएं।

Disclaimer: यह जानकारी “जन सूचना” के आधार पर साझा की गई है।

मेडिकल कॉलेज में रैगिंग के बढ़ते खतरे के बारे में जानें। देश में रैगिंग के आंकड़े, राज्यों में इसका फैलाव और सरकारी उपायों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

मेडिकल स्टूडेंट्स को चाहिए कि वे इस समस्या से निपटने के लिए तैयार रहें और खुद को सुरक्षित रखने के उपाय अपनाएं। यह लेख आपको इस गंभीर मुद्दे के बारे में जागरूक करने के लिए है।

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